खाकी की भी सुनो सरकार, जनता की सेवा करने वाले हैं परेशान, जानिए आखिर क्या है पूरा मामला




हमारा इंडिया न्यूज (हर पल हर खबर) मध्यप्रदेश। प्रदेश पुलिस के अनुसचिवीय उपनिरीक्षक और सहायक उपनिरीक्षक अपनी मांगों को लेकर लामबंद हो रहे हैं। प्रदेश में इनकी संख्या साढ़े चार हजार के लगभग है। इन्होंने अपनी मांग सरकार तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया ट्वीटर का सहारा लिया था, नतीजे में ट्वीटर ने इनके अकाउंट ही लॉक कर दिए। ऐसे करीब डेढ़ दर्जन अफसरों के ट्वीटर अकाउंट लॉक कर दिए गए हैं। प्रदेश के करीब साढ़े चार हजार अनुसचिवीय बल के आरक्षक से लेकर उपनिरीक्षक तक वर्ष 2007 के एक आदेश की विसंगति दूर करने की मांग कर रहे है । अब इन्हें अंदेशा है कि सरकार के इशारे पर इनके ट्वीटर अकाउंट को लॉक किया गया है।



















ये सभी अफसरों की लंबे समय से चली आ रही मांग पर जब सरकार ने गौर नहीं किया तो अधिकांश ऐसे अफसरों ने तय किया कि वे सोशल मीडिया के जरिए मुख्यमंत्री, गृह मंत्री, पुलिस महानिदेशक तक अपनी बात पहुंचाएंगे। इसके चलते एसआई (एम) और एएसआई (एम) ने अपनी मांग रखते हुए ट्वीट किया कि गृह विभाग के आदेश दिनांक एक सितम्बर 2007से मध्य प्रदेश पुलिस के उपनिरीक्षक, निरीक्षक समक्षक पदों की वेतन विसंगति दूर की जाकर सभी को रैंक, गणेवश अनुसार वेतन दिया जा रहा है। इस आदेश में एम संवर्ग के एएसआई और एसआई रैंक, गणवेश अनुसार वेतन प्राप्त करने से वंचित रह गए है। वर्तमान में पुलिस महकमें में एएसआई (एम) और एसआई (एम) को छोड़कर सभी को रैंक अनुसार वेतन मिल रहा है। पुलिस मुख्यालय द्वारा शासन को प्रस्ताव में पुलिस का उपलब्ध बजट से इन पदों की वेतन विसंगति दूर करने पर सहमति जताई है । इन लोगों ने इसके बाद अपनी मांग करते हुए लिखा कि रैंक अनुसार 2800 और 3600 ग्रेड पे देने का आदेश दिए जाए। यह ट्वीट करने के बाद अधिकांश पुलिस कर्मियों और अफसरों के ट्वीटर ने अकाउंट लॉक कर दिए हैं ।



50 से ज्यादा ट्वीट किए गए:- बताया जाता है कि इस मांग को लेकर इन अफसरों और उनके परिजनों ने 50 के लगभग लोगों ने ट्वीट किए थे। पिछले 15 दिनों से ट्वीट करने का सिलसिला चल रहा है। इसके बाद अचानक से इनमें से डेढ़ दर्जन लोगों के अकाउंट लॉक हो गए।

कानून व्यवस्था के लिए थामना होता है डंडा:-इस बल की नियुक्ति वैसे तो ऑफिस बल के लिए होती है, लेकिन विशेष परिस्थितियों में इस बल को सड़कों पर भी उतारा जाता रहा है। होली, दशहरा जैसे त्यौहारों पर कई बार इस बल का भी जिले में उपयोग कर लिया जाता है। विधानसभा ड्यूटी में भी कई बार इन्हें तैनात कर दिया जाता है।


पुलिस विभाग के मिनिस्ट्रीयल स्टाफ की वेतन विसंगति का मामला कर्मचारीयों ने सीएम और गृह मंत्री को ट्वीटर पर किया टैग सोशल मिडिया में हो रहा ट्रेंड


गृह विभाग मप्र शासन के आदेश दिनांक 01.09.2007 से मध्यप्रदेश पुलिस के उप निरीक्षक / निरीक्षक समकक्ष पदों की वेतन विसंगति दूर की जाकर सभी को रैंक / गणवेश अनुसार वेतन दिया जा रहा है। किंतु उक्त आदेश में कार्यपालिक (M) संवर्ग के ASI (M) और SI (M) रैंक / गणवेश अनुसार वेतन प्राप्त करने से वंचित रह गए है। वर्तमान में पुलिस विभाग में ASI (M) और SI (M) को छोड़कर सभी को रैंक अनुसार वेतन मिल रहा है, इन दोनों पदों पर कार्यरत् कर्मचारीयों को अपने पद के अनुरूप वेतन प्राप्त नहीं होने से इनमें एवं इनके परिजनों में असंतोष एवं हीन भावना व्याप्त है, यहां यह बताना उल्लेखनिय है की कांग्रेस की कमलनाथ सरकार द्वारा अपने 18 माह के शासनकाल में इन दोनों पदों के वेतनमान की विसंगति को दुर करने के लिये प्रक्रिया प्रारंभ की गई थी, मप्र पुलिस के तत्कालीन मुखिया पुलिस महानिदेशक वीके सिंह द्वारा इन दोनों पदों की वेतन विसंगति को दुर करने के लिये प्रयास किया, इसी क्रम में पुलिस महानिदेशक के पत्र क्र. सी-12/2020 दिनांक 30.1.2020 से प्रमुख सचिव मप्र शासन गृह मंत्रालय को यह प्रस्ताव भी प्रेषित किया था की यदि उक्त दोनों पदों की वेतन विसंगति दूर करने की स्वीकृति प्राप्त होती है तो इससे शासन पर कोई भी अतिरिक्त वित्तिय भार नहीं आयेगा, पुलिस विभाग को आवंटित होने वाले सालाना बजट से ही इन्हे पद अनुरूप वेतन दिया जा सकता है, परंतु यह प्रक्रिया मार्च 2020 में सत्ता पलट हो जाने के कारण अधर में लटक गई।

वर्ष 2023 चुनावी वर्ष है प्रदेश के मुखिया मान. शिवराजसिंह चौहान हर तरह से हर वर्ग को साधने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रख रहे हैं चाही लाड़ली बहना योजना हो या आंगनवाड़ी, पंचायत सचिव, संविदा कर्मचारी, पंच सरपंच का मानदेय हो सभी स्तर पर शिवराज जी प्रयासरत् हैं, पुलिस विभाग एक अनुशासन का बेड़ा माना जाता है, इसके कर्मचारीयों केा केाई संगठन बनाने की अनुमति नहीं है, वे अपने बात किसी भी तरह से शासन तक पहुंचाने से वंचित रहते हैं, चुनावी साल में वर्षों पुरानी वेतन विसंगति दूर करने की मांग को लेकर पुलिस कर्मचारीयों के परिजनों द्वारा स्थानीय स्तर के नेताओं से भी संपर्क कर मान. मुख्यमंत्री महोदय को पत्र लिखने के अनुरोध किये जा रहे हैं। ऐसे में पुलिस विभाग में कार्यरत् उक्त दोनों पदों के अधिकारी/कर्मचारीयों और उनके परिजनों को उम्मीद है की यह वेतन विसंगती का मामला मुख्यमंत्री महोदय के संज्ञान में आने पर हो सकता है की वे पुलिस विभाग को उनके आवंटित वार्षिक बजट से वेतन विसंगति दूर करने के निर्देश दे देवें ।

Post a Comment

Previous Post Next Post

Technology

Connect With us