हमारा इंडिया न्यूज (हर पल हर खबर) मध्यप्रदेश/जबलपुर।शुक्रवार को एक घटना सामने आई है, जिससे नेताजी सुभाषचन्द्र बोस मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में उपचार कराने के लिए आने वाले मरीज के परिजन दहशत में आ गए, दरअसल मामला यह था कि एक कुछ माह के जन्में नवजात शिशु का जो ब्लड ग्रुप था, उसे उस ब्लड ग्रुप का ब्लड नहीं चढ़ाया, जिससे परिजनों परेशान हो गए और इस मामले को लेकर परिजन दहशत में आ गए। इस संबंध में प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार बंदरकोल गांव में रहने वाले श्रीकांत लोधी ने बताया कि 31 मई को मेडिकल कॉलेज में बच्चे का जन्म हुआ है, बच्चे का वजन 1 किलो 600 ग्राम है और शुरू से ही बच्चा बहुत कमजोर है, जिसको लेकर डॉक्टरों ने सलाह दी कि उसके शरीर में ब्लड की कमी है और उसे चढ़ाया जाएगा। जिसके परिजनों 1 मई को ए पॉजिटिव ब्लड चढ़वा दिया और उसके स्वास्थ्य में सुधार होने के बाद उसे घर ले गए। लेकिन जब पुन: बच्चे का स्वास्थ्य खराब हुआ तो वह उपचार के लिए पुन: मेडिकल के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल आए, जहां पर उसे नर्सरी वार्ड में भर्ती किया गया। जहां पर पुन: उसे ब्लड चढ़ाने के लिए कहा गया, जिसके बाद परिजन जब ब्लड का सैम्पल लेकर आए तो बच्चे का ब्लड ग्रुप एबी पॉजिटिव निकला, जिससे परिजनों के होश उड़ गए और उन्होंने कहा कि इसके पहले तो बच्चे को ए पॉजिटिव ब्लड चढ़ाया गया है, जिससे लापरवाही का मामला प्रकाश में आया है।
प्राईवेट ब्लड में जांच से पता चल ब्लड ग्रुप
प्राप्त जानकारी के अनुसार 28 जून को बच्चें को फि र ब्लड की जरूरत पड़ी तो बच्चे का पिता फ़ ाइल और सैम्पल लेकर मेडिकल ब्लड बैंक गया, जहां यह कहकर खून देनें से मना कर दिया कि अभी इस ग्रुप का खून ब्लड बैंक में नहीं है। फिर बच्चे के पिता को जब ब्लड बैंक से खून नहीं मिला तो वह है प्राइवेट ब्लड बैंक गया, जहां उसने रिपोर्ट दिखाई तो पता चला कि इससे पहले बच्चें को जो खून चढ़ाया गया था वह गलत ग्रुप का चढ़ाया गया है, इतना सुनते ही बच्चे के पिता के होश उड़ गए। नवजात बच्चे के साथ बड़ी लापरवाही को लेकर श्रीकांत ने मेडिकल प्रबंधन से शिकायत की लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं हुआ।
कार्यवाही का दिया गया आश्वासन
जिसके बाद 1 माह के बच्चे के साथ इस तरह की बड़ी लापरवाही करने का मामला जब मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉ संजय मिश्रा के पास पहुंचा तो उन्होंने आश्वासन दिया है कि इस पूरे विषय में मेडिकल कॉलेज के डीन से बात की जाएगी और इसमें जिसने भी लापरवाही बरती होगी उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही भी होगी।
इस प्रकार से लापरवाही होने की व्यक्त की जा रही है आशंका
वहीं इस प्रकार के लापरवाही से यह जानकारी भी प्राप्त हुई है कि ब्लड बैंक के पास संबंधित बच्चे का सैम्पल पूर्व में स्टॉफ आदि की लापरवाही की वजह से बदल गया था, जिससे ब्लड बैंक में जो सैम्पल आया, उसकी जांच करके मरीज के परिजनों को दे दिया गया। जानकारी के अनुसार पूर्व में मेडिकल के ब्लड बैंक के पास ए पॉजिटिव का ही सैम्पल आया था, जिसको ब्लड बैंक ने जांच करके मरीज के परिजनों को दे दिया था और कुछ माह के बच्चे को चढ़ा भी दिया गया था। इस संबंध में सूत्रों ने बताया कि मेडिकल अस्पताल में स्टॉफ के ऊपर अतिरिक्त भार होता है, इसलिए वह मरीजों का सैम्पल पहले एकत्रित कर लेते हैं, फिर उसके ऊपर लेबल लगाते हैं कि इस मरीज का यह सैम्पल है, जिसके बाद मरीज के परिजनों को सैम्पल दे दिया जाता है, जिससे प्रतीत होता है, इसी वजह से यह लापरवाही हुई है।
जानकारों ने यह भी बताया - वहीं जानकार बताते हैं कि एबी पॉजिटिव वाले मरीज को ए पॉजिटिव और बी पॉजिटिव ब्लड चढ़ाया जा सकता है, जिससे मरीज को कोई परेशानी नहीं होती है, लेकिन ऐसे ब्लड ग्रुप वाले मरीजों इन ब्लड ग्रुप के अलावा अन्य ब्लड ग्रुप का ब्लड चढ़ाया जाता तो इससे मरीज के जीवन से खिलवाड़ हो सकता है।
इनका कहना है
कुछ माह के बच्चे को दूसरे ब्लड ग्रुप का ब्लड चढ़ाए जाने का मामला प्रकाश में आया है, इस संबंध की शिकायत प्राप्त हुई है, जिसकी आवश्यक जांच की जाएगी, ताकि इस प्रकार की गलती न हो सके। डॉ शिशिर चिनपुरिया, अधिकारी, ब्लड बैंक नेताजी सुभाषचन्द्र बोस मेडिकल कॉलेज व अस्पताल जबलपुर।