हमारा इंडिया न्यूज (हर पल हर खबर) मध्यप्रदेश/जबलपुर।पनागर में आज से शुरू हुई सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का श्रीगणेश करते हुए बाघेश्वर धाम सरकार पीठाधीश्वर आचार्य धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने कथा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने संसार की असारता का वर्णन करते हुए कहा कि इस जगत में जगदाधार भगवान श्रीगोविंद का भजन ही एक मात्र सार है, बाकी जो कुछ भी कल्पित, भाषित, आंकलित है, वो सब बेकार है।
बताया भागवत शब्द का अर्थ-:पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने भागवत शब्द का अर्थ बताते हुए कहा कि भागवत में चार अक्षर है। भ, ग, व और त। यहां भ का अर्थ है भक्ति। ग का अर्थ ज्ञान, व का वैराग्य और त का त्याग। उन्होंने भक्ति-ज्ञान, वैराग्य और त्याग का गहन अर्थ बताते हुए कहा कि चारों शब्द के जो अर्थ उजागर हैं, वास्तव में उनका अर्थ उतना बस नहीं है। चारों का अर्थ बड़ा गहरा है।
शक्ति के बिना कुछ नहीं-:महाराजश्री ने कहा कि शक्ति इहलोक-परलोक का केंन्द्र है। इसी लिए भागवत के पहले श्रीमत शब्द आता है। यहां श्री का अर्थ शक्ति और मत का अर्थ ईश्वरीय मति है। जब तक हमारी मति गोविंद के मद से रसस्रात नहंी हो जाती तब तक ये न समझना कि बुद्धि चित्त-चेतना में भक्ति आ गई है। उन्होंने कहा कि भागवत का पहला श्लोक सच्चिदानंद रूपाय विश्युत्पत्यादि हेतवे ही परम तत्व का विस्तार और सार है।
मौसम वाले भक्त मत बनो-: लाखों वर्गफुट के तीन पंडाल में उपस्थित अपार जनमेदनी को संबोधित करते हुए महाराजश्री ने कहा कि माला लेने से कोई भक्त नहंी हो जाता। आप कभी मौसम वाले भक्त न बनें। उन्होंने कहा कि नो दिन उपवास कर दसवें दिन उपद्रव मचाने भगवान नहंी होते। शंकर जी ने पूरी दुनिया बनाई, हम सावन में शंकर जी बना के भक्त नहीं कहला सकते।
तब समझना हो गई मोहब्बत-:महाराजश्री ने कहा कि जब भगवत नाम संकीर्तन से आंखे गीली हो जाएं, जिव्या पर गोविंद का नाम नाचने लग जाए, रोम रोम प्रभु प्यार में आनंदित हो उठे, तब समझना कि मुझे मोहोब्बत हो गई है। उन्होंने कहा कि पनागर के पागलो, हरि का भजन करो हरि है हमारा, हरि के भजन बिना नहीं है हमारा।
हम कट्टर नहीं राम के प्यारे हैं-:महाराजश्री ने कहा कि हमें लोग कट्टर कहते हैं। पर हम कट्टर नहीं हम तो राम के प्यारे हैं। उन्होंने कहा कि जिसके मस्तक में तिलक होता है, जो भगवा पहनता है वो हमें राम कीयाद दिलाता है, वो हमें प्यारा लगता है। उन्होंने कहा कि हमारे शास्त्र भी कहते हैं कि जो राम से दूर करे, उसक ा त्याग कर दो। जाके प्रिय न राम बैदेही तजो कोट बैरी सम यद्वपि परम सनेही। राम से दूर करने वाला कितना भी प्यारा क्यों न हो, उसका त्याग करने में ही भलाई है।
भागवत भगवान का दूसरा रूप-:महाराजश्री ने कहा कि मेरी छोटी सी बुद्धि से यदि कोई पूछे कि भगवान क्या है, तो मैं यही कहूंगा कि भागवत ही ठाकुर जी हैं। भागवत ही भगवान हैं। उन्होने कथा बताते हुए कहा कि भगवान ने स्वयं कहा है कि मैं अपना तेज इस सद््ग्रंथ में छोड़ के जा रहा हूं। भागवत ही भगवान का गीत है। इसमें गोपी गीत, बेणु गीत, उद्धव गीता, युगल गीत, भ्रमर गीत का जिक्र है। भागवत साधारण नहंी है। इसमें ज्ञान-कर्म, साधना-सिद्धि, वैराग्य,मर्याता, निर्गुण-सगुण, वैराग्य-सत्य है।
इंदू तिवारी की मंच से तारीफ-:महाराज श्री ने पंडाल में बड़ी संख्या में बैठे यजमान युगलों को देख कर कहा कि धन्य हैं इंदू तिवारी, जिन्होंने इतनी बड़ी संख्या में साधारण से साधारण लोगों को कथा का यजमान बनने का गौरव प्रदान किया। हास्य विनोद करते हुए महाराज श्री ने पनागर के काल्पनिक टिल्लू गुरू की बात की। टिल्लू की कहानी सुनाते हुए महाराजश्री ने कहा कि भगवान के यहां चतुरता नहीं चलती, वहां तो भोला बन के सीधा बन के चलना पड़ता है।
प्रारंभ में पोथी पूजन-:कथा के प्रारंभ में आयोजन समिति की ओर से इंदू तिवारी, माया तिवारी, सत्येंद्र पटेल अर्शी पटेल, सौरभ बड़रिया,सोनिया बड़ेरिया, रोहित तिवारी, अनुभा तिवारी, पवन जैन, मीना जैन, सौरभ जैन आदि ने व्यास पीठ और पोथी पूजन किया। सांसद राकेश सिंह ने इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित होकर व्यास पीठ की आरती की।