हमारा इंडिया न्यूज (हर पल हर खबर) मध्यप्रदेश/जबलपुर। बुराई पर अच्छाई की इस जीत को प्रदर्शित करने और यह संदेश देने की बुराई कितनी भी ताकतवर हो, उसे हारना होता है, इसलिए होलिका दहन किया जाता है। श्रीमद्भागवत पुराण हिरण्यकशिपु की बहन को वरदान था कि वह आग से नहीं जलेगी। लेकिन, अपने भाई के बहकावे में आकर वह भक्त प्रहलाद को जीवित जलाकर मार डालने की इच्छा से उन्हें गोद में लेकर आग में बैठ गई। भगवान की कृपा से ऐसा चमत्कार हुआ कि होलिका जल गई, किन्तु भक्त प्रहलाद को आंच भी नहीं आई। अंत में हिरण्यकशिपु अवश्य मारा गया।
पंडि़त श्रवण शास्त्री ने बताया कि शास्त्रों अनुसार होलिका की रात्रि के समय पूजा करने से जिस भी जातक की कुंडली में व्याप्त दोष होते हैं, उन्हें कम किया जा सकता है। इसके साथ ही होलिका की पूजा कर व्यक्ति शनि ग्रह दोष और पितृ दोष को भी दूर कर सकता है। होलिका दहन पर अग्नि की परिक्रमा करने से दोष दूर होते हैं। होलिका की परिक्रमा से जातक की ग्रह बाधा भी दूर होती है।
यह है होलिका दहन का समय
----------------------
पंडि़त श्रवण शास्त्री ने बताया कि फ ाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा मंगलवार को प्रदोष काल में पूर्णिमा के न मिलने के कारण पूर्व दिन सोमवार दिनांक 6. 3.2023 को रात्रि भद्रापुच्छ में 12:23 से रात 1:35 के मध्य अर्थात तीन घंटे 72 मिनट में होलिका का दहन करना चाहिए। फ ाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 15 मंगलवार को 28 घंटे 41 मिनिट सायंकाल 5:39 पर समाप्त हो रही है तथा इसी दिन सूर्यास्त 5:55 पर हो रहा है। मंगलवार को पूर्णिमा सूर्यास्त काल में नहीं है तथा पूर्व दिन सोमवार को चतुर्दशी तिथि 24 घटी 23 पल दिन में 3:56 पर समाप्त होकर पूर्णिमा तिथि लग रही है, इसी दिन रात्रि पर्यन्त भद्रा है।
दिन में नहीं है होलिका दहन का विधान
------------------------
पंडि़त श्रवण शास्त्री ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार भद्रा का मुख छोड़कर पुच्छ में रात्रि 12:23 से 1:35 तक भद्रा पुच्छ में होलिका दहन होना चाहिए, क्योंकि प्रतिपदा तिथि को, भद्रा में और दिन में होलिका के दहन का विधान नहीं है। पूर्णिमा की रात्रि में प्रदोष काल में ही होलिका दहन का विधान प्राप्त होता है, लेकिन इस वर्ष विषम स्थिति आ जाने के कारण भद्रा पुच्छ में भी होलिका दहन किया जा सकता है, अत: शास्त्रों की विधि निषेध का पालन करते हुए भद्रा पुच्छ में ही होलिका दहन करना चाहिए।
7 मार्च को है पूर्णिमा
--------------------------
पंडि़त श्रवण शास्त्री ने बताया कि प्रमाणों के अनुसार 6 मार्च 2023 सोमवार की रात्रि 12:23 से 1:35 के मध्य होलिका दहन करना चाहिए, दूसरे दिन 7 मार्च 2023 को मंगलवार को पूर्णिमा है, अत: पूर्णिमा के दिन होलिका नहीं खिलाना चाहिए, शुद्ध प्रतिपदा तिथि में ही होलिकोत्सव बसंतोत्सव मनाना चाहिए। अत: 6 तारीख की रात्रि में होलिका दहन होगा तथा 8 तारीख को होली मनाई जाएगी।
पंडि़त श्रवण शास्त्री
Tags
aajtak
abpnews
SONGNAMRATA MALLA
Top
TRAIN
ujjain
vacancy
vinaysaxena
को
जबलपुर
जबलपुर jabalpur MP
जबलपुर jabalpur MP top