हमारा इंडिया न्यूज (हर पल हर खबर) मध्यप्रदेश/जबलपुर। ठण्ड के दिनों में अक्सर हार्ट अटैक के केस बढ़ जाते हैं, कल जिसे हम व आप पूरी तरह से स्वस्थ्य व एक दूसरे से मिलते हुए देखे थे, उसकी अचानक से मृत्यु की खबर अगले दिन अधिकांश वर्ग को सुनने को मिल रही है, जिसमें से अधिकांश केसों में मौत की वजह हार्ट अटैक से होने की सामने आ रही है। अब ऐसे में शहर के जाने-माने वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ पुष्पराज पटेल से हमारा इंडिया न्यूज पोर्टल ने खास बातचीत की और उनसे सभी वर्ग को जागरूक करने के लिए टिप्स को जाना, ताकि हर वर्ग अपने दिल का ख्याल रख सकें और समय पर उपचार कराकर हार्ट अटैक से बच सके।
इसके लिए डॉ पुष्पराज पटेल ने बताया कि अगर व्यक्ति हमेशा खुशमिजाजी बनता है और हंसने की आदत को अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करता है तो उसकी अधिकांश बीमारी उसके खुशमिजाजी बनने से ही दूर हो जाएगी, वहीं व्यक्ति के हंसमुख मिजाज से वह विभिन्न प्रकार की परेशानियों से दूर रहेगा, जिससे उसके दिल में व शरीर में भी ज्यादा भार नहीं पड़ेगा और व्यक्ति के आनंदमय व्यवहार से उसकी छवि दूसरों के प्रति अच्छी भी बनेगी और वह अपने इसी मिजाज की वजह से बीमारियों से भी दूर रहेगा।
सर्दियों में क्यों बढ़ जाते हैं हार्ट अटैक के केस
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हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ पुष्पराज पटेल ने बताया कि सर्दियों के समय में दिल से संबंधित बीमारियों के कारण अस्पतालों में 20 से 30 प्रतिशत तक भर्ती मरीजों की संख्या बढ़ जाती है, ऐसा माना जाता है कि ठण्ड का मौसम आपके दिल को कई तरह से प्रभावित करता है। डॉ पुष्परा पटेल ने बताया कि हमारे शरीर को नियमित गर्म मौसम की तुलना में हृदय को अधिक रक्त पम्प करने की आवश्यकता होती है, आपके द्वारा चलाए जाने वाले प्रत्येक मील के लिए आपके दिल को गर्मियों में या अधिक परिवेश के तापमान की तुलना में अधिक काम करना पड़ता है। इसलिए अत्यधिक ठण्ड में हृदय पर जोर पड़ता है और हार्ट अटैक आ जाता है।
बीपी बढऩे से सुबह के वक्त आता है अटैक
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वहीं डॉ पुष्पराज पटेल ने बताया कि ठण्ड का मौसम रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करता है, जिससे वे सिकुड़ जाती हैं और शरीर को गर्म रखती है, रक्त वाहिकाओं में सहानुभूति पूर्ण स्वर में वृद्धि हुई है, सहानुभूति तंत्रिका तंत्र शरीर का नियंत्रण तंत्र है, जो हृदय गति और रक्तचाप को बनाए रखता है। रक्तचाप बीपी बढऩे से सर्दियों में धमनियों के अंदरूनी टुकड़े फट जाते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप हार्ट अटैक होता है और यह मुख्यता सुबह के समय होता है। डॉ श्री पटेल के अनुसार संक्रमण कॉर्डियो-पल्मोनरी सिस्टम यानि हृदय और फेफड़ों पर दबाव डालते हैं, ठण्ड का मौसम श्वसन संक्रमण का समय होता है, जैसे वायरल निमोनिया, वैक्टीरियल निमोनिया, फ्लू या कोरोना वायरस आदि। वहीं उन्होंने बताया कि हमारे हार्मोंस के दैनिक रूपांतर होते हैं, जो हमारे नींद चक्र से जुड़े होते हैं और इसकी तुलना कम्प्यूटर को वूट करने से की जा सकती है। आगे डॉ पुष्पराज पटेल ने बताया कि बूटिंग या रीबूटिंग प्रक्रिया के दौरान एक कम्प्यूटर के बंद होने की संभावना अधिक होती है, यही कारण है कि हम सुबह के शुरूआती घंटों में सबसे ज्यादा दिल के दौरे हार्ट अटैक देखते हैं।
को.मोरिबडिटी को जानना है जरूरी
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वहीं डॉक्टर पुष्पराज पटेल ने बताया कि को.मोरिबडिटी यानि की अन्य सहायक बीमारियां, जिन मरीजों को शुगर या रक्तचाप का नियंत्रण न होना या कोलेस्ट्रॉल अनियंत्रित होता है, उन्हें भी हार्ट अटैक हो सकता है, वहीं डॉक्टर ने बताया कि हार्ट अटैक से बचने के लिए फैमिली की हिस्ट्री प्रत्येक व्यक्ति को पता होना चाहिए, जैसे कि दादा-दादी को क्या बीमारी थी, या फिर परिवार के सदस्य में नशा या और भी जो वेड हेविट हो, उससे हार्ट अटैक से संबंधित बीमारियों से बचा जा सकता है।
कोरोना मरीजों में हार्ट अटैक के खतरे
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हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ पुष्पराज पटेल ने राज एक्सप्रेस चर्चा में बताया कि कोविड के दौरान यह देखा गया कि खून की जमने की संभावना बढ़ गई व कोविड के बाद युवावस्था में हार्ट अटैक व अचानक कार्डिक अरेस्ट के केसेस भी बढ़ गए हैं, खासकर व्यायाम के मध्य में अचानक से हार्ट अटैक भी देखे जा रहे हैं, जो कि पोस्ट कोविड या आफ्टर इफेक्ट हो सकते हैं, जिसमें आगे हमें अनुसंधान रिसर्च की आवश्यकता है। इसके लिए यह जरूरी है कि हर वर्ग को अपने हृदय की नियमित जांच करवाना चाहिए।
मात्र 15 मिनिट रोज हंसों और खुश रहो
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हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ पुष्पराज पटेल का मानना है कि सर्दी के मौसम में तापमान में गिरावट के कारण दिल के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, हृदय गति यानि हार्ट रेट का अचानक बढऩा या घटना, दिल के अस्वस्थ्य होने के संकेत हैं, सर्दी में ठण्ड लग जाने के कारण पुराने हृदय रोग की वजह से या फिर उम्रदराज लोगों में हार्ट रोग बढऩे के मामले बढ़ जाते हैं। वहीं उन्होंने बताया कि नींद की कमी से चिंता, तनाव और स्लीपिंग ड्रिसआर्डर जैसी समस्याएं होती हैं, जिससे दिल की सेहत पर बुरा असर पड़ता है, इसलिए चिंता व तनाव छोड़े, ताकि आपको गहरी नींद आ सकें, रोज सोने व जागने का एक निश्चित समय तय करें, ताकि 6 से 8 घंटे की नींद पूरी हो सके। हमेशा हंसने व खुशमिजाजी बनने की आदत डालें, कई शोधो से पता चला है कि रोज 15 मिनिट हंसा या खुश रहा जाए तो 20 प्रतिशत तक शरीर का खून का प्रवाह बढ़ जाता है।
भोजन के साथ हेल्दी चीजें ही खाएं
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डॉक्टर पुष्पराज पटेल के अनुसार पोष्टिक तत्व से भरपूर आहार ले, इससे शरीर तो स्वस्थ्य ही रहता है, साथ ही दिल भी सेहतमंद रहता है। ऐसे भोजन से बचे जिसमें ट्रांस फैट ज्यादा होते हैं, नानवेज, नमक, चीनी, चिकिनाई और जंक फूड का ज्यादा सेवन न करें। वहीं हार्ट समस्याओं से बचने के लिए लाईफ स्टाईल को एक्टिव बनाए, अपने आहार में मौसमी सब्जियां, हरी सब्जियां, नट्स, ड्राई फ्रूटस, मछली, दूध आदि के सेवन को व रोजाना थोड़ा वक्त धूप में बिताएं। इसके अलावा उन्होंने बताया कि रोजाना कम से कम 30 मिनिट एक्सरसाईज जरूर करें, इससे दिल और शरीर दोनों स्वास्थ्य रहते हैं, व्यायाम करने से शरीर की धमनियां, लचीली बनती हैं, जिससे शरीर में रक्त का प्रवाह बेहतर होता है। उन्होंने आगे बताया कि रोजाना कुछ देर पैदल चलना, सायकिल चलाना, डांस करना, स्वीमिंग करना,योग करना काफी है। श्री पटेल ने बताया कि हृदय की बीमारियों को कम करने के लिए हमें अपने वजन पर नियत्रंण रखना बेहद जरूरी है, मोटापा दिल से संबंधित कई बीमारियां की वजह बनता है, अपनी लम्बाई के हिसाब से अपना वजन नियंत्रित रखें।
इसके लिए डॉ पुष्पराज पटेल ने बताया कि अगर व्यक्ति हमेशा खुशमिजाजी बनता है और हंसने की आदत को अपनी दैनिक दिनचर्या में शामिल करता है तो उसकी अधिकांश बीमारी उसके खुशमिजाजी बनने से ही दूर हो जाएगी, वहीं व्यक्ति के हंसमुख मिजाज से वह विभिन्न प्रकार की परेशानियों से दूर रहेगा, जिससे उसके दिल में व शरीर में भी ज्यादा भार नहीं पड़ेगा और व्यक्ति के आनंदमय व्यवहार से उसकी छवि दूसरों के प्रति अच्छी भी बनेगी और वह अपने इसी मिजाज की वजह से बीमारियों से भी दूर रहेगा।
सर्दियों में क्यों बढ़ जाते हैं हार्ट अटैक के केस
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हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ पुष्पराज पटेल ने बताया कि सर्दियों के समय में दिल से संबंधित बीमारियों के कारण अस्पतालों में 20 से 30 प्रतिशत तक भर्ती मरीजों की संख्या बढ़ जाती है, ऐसा माना जाता है कि ठण्ड का मौसम आपके दिल को कई तरह से प्रभावित करता है। डॉ पुष्परा पटेल ने बताया कि हमारे शरीर को नियमित गर्म मौसम की तुलना में हृदय को अधिक रक्त पम्प करने की आवश्यकता होती है, आपके द्वारा चलाए जाने वाले प्रत्येक मील के लिए आपके दिल को गर्मियों में या अधिक परिवेश के तापमान की तुलना में अधिक काम करना पड़ता है। इसलिए अत्यधिक ठण्ड में हृदय पर जोर पड़ता है और हार्ट अटैक आ जाता है।
बीपी बढऩे से सुबह के वक्त आता है अटैक
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वहीं डॉ पुष्पराज पटेल ने बताया कि ठण्ड का मौसम रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करता है, जिससे वे सिकुड़ जाती हैं और शरीर को गर्म रखती है, रक्त वाहिकाओं में सहानुभूति पूर्ण स्वर में वृद्धि हुई है, सहानुभूति तंत्रिका तंत्र शरीर का नियंत्रण तंत्र है, जो हृदय गति और रक्तचाप को बनाए रखता है। रक्तचाप बीपी बढऩे से सर्दियों में धमनियों के अंदरूनी टुकड़े फट जाते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप हार्ट अटैक होता है और यह मुख्यता सुबह के समय होता है। डॉ श्री पटेल के अनुसार संक्रमण कॉर्डियो-पल्मोनरी सिस्टम यानि हृदय और फेफड़ों पर दबाव डालते हैं, ठण्ड का मौसम श्वसन संक्रमण का समय होता है, जैसे वायरल निमोनिया, वैक्टीरियल निमोनिया, फ्लू या कोरोना वायरस आदि। वहीं उन्होंने बताया कि हमारे हार्मोंस के दैनिक रूपांतर होते हैं, जो हमारे नींद चक्र से जुड़े होते हैं और इसकी तुलना कम्प्यूटर को वूट करने से की जा सकती है। आगे डॉ पुष्पराज पटेल ने बताया कि बूटिंग या रीबूटिंग प्रक्रिया के दौरान एक कम्प्यूटर के बंद होने की संभावना अधिक होती है, यही कारण है कि हम सुबह के शुरूआती घंटों में सबसे ज्यादा दिल के दौरे हार्ट अटैक देखते हैं।
को.मोरिबडिटी को जानना है जरूरी
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वहीं डॉक्टर पुष्पराज पटेल ने बताया कि को.मोरिबडिटी यानि की अन्य सहायक बीमारियां, जिन मरीजों को शुगर या रक्तचाप का नियंत्रण न होना या कोलेस्ट्रॉल अनियंत्रित होता है, उन्हें भी हार्ट अटैक हो सकता है, वहीं डॉक्टर ने बताया कि हार्ट अटैक से बचने के लिए फैमिली की हिस्ट्री प्रत्येक व्यक्ति को पता होना चाहिए, जैसे कि दादा-दादी को क्या बीमारी थी, या फिर परिवार के सदस्य में नशा या और भी जो वेड हेविट हो, उससे हार्ट अटैक से संबंधित बीमारियों से बचा जा सकता है।
कोरोना मरीजों में हार्ट अटैक के खतरे
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हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ पुष्पराज पटेल ने राज एक्सप्रेस चर्चा में बताया कि कोविड के दौरान यह देखा गया कि खून की जमने की संभावना बढ़ गई व कोविड के बाद युवावस्था में हार्ट अटैक व अचानक कार्डिक अरेस्ट के केसेस भी बढ़ गए हैं, खासकर व्यायाम के मध्य में अचानक से हार्ट अटैक भी देखे जा रहे हैं, जो कि पोस्ट कोविड या आफ्टर इफेक्ट हो सकते हैं, जिसमें आगे हमें अनुसंधान रिसर्च की आवश्यकता है। इसके लिए यह जरूरी है कि हर वर्ग को अपने हृदय की नियमित जांच करवाना चाहिए।
मात्र 15 मिनिट रोज हंसों और खुश रहो
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हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ पुष्पराज पटेल का मानना है कि सर्दी के मौसम में तापमान में गिरावट के कारण दिल के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, हृदय गति यानि हार्ट रेट का अचानक बढऩा या घटना, दिल के अस्वस्थ्य होने के संकेत हैं, सर्दी में ठण्ड लग जाने के कारण पुराने हृदय रोग की वजह से या फिर उम्रदराज लोगों में हार्ट रोग बढऩे के मामले बढ़ जाते हैं। वहीं उन्होंने बताया कि नींद की कमी से चिंता, तनाव और स्लीपिंग ड्रिसआर्डर जैसी समस्याएं होती हैं, जिससे दिल की सेहत पर बुरा असर पड़ता है, इसलिए चिंता व तनाव छोड़े, ताकि आपको गहरी नींद आ सकें, रोज सोने व जागने का एक निश्चित समय तय करें, ताकि 6 से 8 घंटे की नींद पूरी हो सके। हमेशा हंसने व खुशमिजाजी बनने की आदत डालें, कई शोधो से पता चला है कि रोज 15 मिनिट हंसा या खुश रहा जाए तो 20 प्रतिशत तक शरीर का खून का प्रवाह बढ़ जाता है।
भोजन के साथ हेल्दी चीजें ही खाएं
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डॉक्टर पुष्पराज पटेल के अनुसार पोष्टिक तत्व से भरपूर आहार ले, इससे शरीर तो स्वस्थ्य ही रहता है, साथ ही दिल भी सेहतमंद रहता है। ऐसे भोजन से बचे जिसमें ट्रांस फैट ज्यादा होते हैं, नानवेज, नमक, चीनी, चिकिनाई और जंक फूड का ज्यादा सेवन न करें। वहीं हार्ट समस्याओं से बचने के लिए लाईफ स्टाईल को एक्टिव बनाए, अपने आहार में मौसमी सब्जियां, हरी सब्जियां, नट्स, ड्राई फ्रूटस, मछली, दूध आदि के सेवन को व रोजाना थोड़ा वक्त धूप में बिताएं। इसके अलावा उन्होंने बताया कि रोजाना कम से कम 30 मिनिट एक्सरसाईज जरूर करें, इससे दिल और शरीर दोनों स्वास्थ्य रहते हैं, व्यायाम करने से शरीर की धमनियां, लचीली बनती हैं, जिससे शरीर में रक्त का प्रवाह बेहतर होता है। उन्होंने आगे बताया कि रोजाना कुछ देर पैदल चलना, सायकिल चलाना, डांस करना, स्वीमिंग करना,योग करना काफी है। श्री पटेल ने बताया कि हृदय की बीमारियों को कम करने के लिए हमें अपने वजन पर नियत्रंण रखना बेहद जरूरी है, मोटापा दिल से संबंधित कई बीमारियां की वजह बनता है, अपनी लम्बाई के हिसाब से अपना वजन नियंत्रित रखें।
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