हमारा इंडिया न्यूज (हर पल हर खबर) मध्यप्रदेश/जबलपुर। ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी है, यहां पर विभिन्न बीमारियों से पीडि़त होकर उपचार के लिए आने वाले मरीजों का तो भगवान ही मालिक है, दरअसल न उन्हें समय पर उपचार करने के लिए डॉक्टर मिलते हैं और न ही विभिन्न जांचों के लिए स्टॉफ, जिससे पीडि़तों को दर्द से राहत नहीं मिल पाता है और वह दर-दर उपचार के लिए भटकते रहते हैं, वहीं जिम्मेदार अधिकारी व जनप्रतिनिधियों का भी रवैया अत्यंत आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं की ओर न होने से भगवान भरोसे ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य सेवाएं संचालित हो रही हैं।
दरअसल सोमवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र मझौली की पैथोलॉजी में उपचार कराने पहुंची माया बाई ने बताया कि वह शुगर की मरीज है, जिनका उपचार चल रहा है, सोमवार को वह अपनी शुगर की जांच के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य मझौली पहुंची तो वहां पर सीरम विधि से पैथोलॉजी में ब्लड शुगर टेस्ट करने से इंकार कर दिया, जिससे वह परेशान होते रहीं। इस संबंध में मरीज माया बाई ने बताया कि पैथोलॉजी में देवेश पाठक व नूरजहां नाम की स्टॉफ इस दौरान ड्यूटी पर कार्यरत थी, जिनके द्वारा टेस्ट करने से इंकार किया गया और कहा गया कि इस जांच की व्यवस्था पैथोलॉजी में नहीं है और जब वहां के चिकित्सक ने जांच के लिए लिखा तो उनके द्वारा एचबीएसवनसी और नार्मल ब्लड शुगर दोनों जांच को एक ही प्रकार का टेस्ट होना बता दिया गया, लेकिन जब डॉक्टर से उन्होंने पूछा तो उन्होंने बताया कि दोनों जांच अलग-अलग है, वहीं अंत में मरीज के परिजनों की नाराजगी को देखते हुए मरीज का ब्लड शुगर टेस्ट सीरम विधि से ही किया गया, जबकि मरीज के परिजनों को पहले बताया जा रहा था कि यह व्यवस्था पैथोलॉजी में उपस्थित नहीं है। इस प्रकार से मरीजों को ग्रामीण क्षेत्रों के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में परेशान किया जा रहा है।