हमारा इंडिया न्यूज (हर पल हर खबर) (आशीष विश्वकर्मा) मध्यप्रदेश/जबलपुर। जबलपुर संस्कारधानी के नेताओं को एक अच्छा काम करने वाले प्रशासनिक अधिकारी लगातार उन्हें हजम नहीं हो रहे हैं, जिसके चलते एक बाद-एक जिले की कमान संभालने वाले कलेक्टरों को कुछ ही माह में तबादला या नवीन पदस्थापना करवा दी जा रही है, जिसके एक नहीं बल्कि कई उदाहरण है, जबकि शासन के नियमानुसार यह भी है कि कोई भी बड़ा अधिकारी या कर्मचारी कम से कम एक विभाग में एक ही जगह पर तीन वर्ष तक पदस्थ रहते हुए कार्य कर सकता है, लेकिन जबलपुर में इन दिनों न जाने किस नेता को जनता के लिए बेहतर से बेहतर काम करने वाले अच्छे कलेक्टर हजम ही नहीं हो रहे हैं, इसी वजह से ऐसे कलेक्टर लगातार जबलपुर में टिक नहीं पा रहे हैं और उनको नवीन पदस्थापना दे दी जा रही है।
गौरतलब है कि जबलपुर में तत्कालीन कलेक्टर रहे भरत यादव जिनके द्वारा लगातार जनता के हित में स्वयं मैदान में उतरकर बेहतर कलेक्टर के रूप में काम किया जा रहा था और अंतिम व्यक्ति की पहुंच तक तत्कालीन कलेक्टर भरत यादव का संपर्क हुआ करता था, जिससे वह जबलपुर में अत्यंत लोकप्रिय हुए और भीषण कोविड संकटकाल में भी बेहतर से बेहतर कार्य करते हुए जनता के दिलों में राज किया, लेकिन कुछ समय बाद उनकी नवीन पदस्थापना कर दी गई।
कलेक्टरों के कार्यकाल पर एक नजर
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:- छवि भारद्वाज आईएएस 6 अप्रैल 2018 को जबलपुर की कलेक्टर बनाई गई थी, जो कि 28 मई 2019 तक जबलपुर में पदस्थ रहीं।
:- भरत यादव आईएएस 29 मई 2019 को जबलपुर का कलेक्टर बनाया गया, जो कि 22 अगस्त 2020 तक जबलपुर में पदस्थ रहे।
:- कर्मवीर शर्मा आईएएस 22 अगस्त 2020 को जबलपुर का कलेक्टर बनाया गया, जो कि 4 फरवरी 2022 तक जबलपुर में पदस्थ रहे।
:- डॉ इलैयाराजा टी आईएएस को 4 फरवरी 2022 को जबलपुर का कलेक्टर बनाया, जिनका हाल में नवीन पदस्थापना इन्दौर कलेक्टर के रूप में कर दी गई।
नाम की तरह बेहतर काम कर रहे थे कलेक्टर
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अब एक बार पुन: अपनी नाम की तरह राजा के रूप में अपने शहर की जनता का हर एक समय दुख दर्द को समझते हुए शानदार काम करने वाले तत्कालीन कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी की नवीन पदस्थापना कहीं न कहीं सिस्टम की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान अंकित कर रही है।
जबलपुर में हो रही है तरह-तरह की चर्चाएं
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तत्कालीन जबलपुर के कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी की नवीन पदस्थापना का आदेश आने से जबलपुर शहर में तरह-तरह की चर्चाएं होने लगी है कि अभी इन्हें एक साल भी नहीं हुआ और अपनी जनता के दिल में कम ही समय में जगह बनाकर लगातार जनहितैषी कार्य करते हुए जनता का दिल जीतकर उनके हर एक दुख दर्द को दूर करने का काम कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी के द्वारा किया जा रहा था, जिनकी कार्यप्रणाली को लेकर किसी भी नागरिकों या फिर संगठन के द्वारा कोई भी शासन स्तर पर शिकायत नहीं थी, फिर भी जबलपुर के लिए बेहतर से बेहतर कार्य करने वाले कलेक्टर का अचानक से कम ही समय पर नवीन पदस्थापना किए जाने से सिस्टम और सरकार के नुमाईदों की कार्यप्रणाली को कटघरें पर खड़ा कर रही है और अब तो तत्कालीन कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी की नवीन पदस्थापना किए जाने से चर्चाओं का बाजार इस कदर गर्म है कि जनता के लिए लोकप्रिय बनने की वजह से स्थानीय जनप्रतिनिधियों की लोकप्रियता कम हो रही थी और इसी वजह शहर के नेताओं को ऐसे लोकप्रिय कलेक्टर का कामकाज नहीं भाया और उनको जबलपुर से इन्दौर भिजवा दिया गया, जिसको लेकर अब जनप्रतिनिधियों की कार्यप्रणाली पर शहर की जनता भी प्रश्नचिन्ह अंकित करते हुए दिख रही है, इस तरह से जनता की भावना के साथ खिलवाड़ करने वाले जनप्रतिनिधियों को भी भविष्य में जनता सबक सिखा सकती है, चर्चाओं में नागरिकों का कहना है कि तत्कालीन कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी की नवीन पदस्थापना की बात किसी भी प्रकार से हजम नहीं हो रही है कि आखिर उन्होंने ऐसा क्या गुनाह कर दिया कि उन्हें इतनी जल्दी नवीन जगह पदस्थापना देनी पड़ी, जबकि यह कलेक्टर हर वर्ग के लिए फिर वह चाहते प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारी हो या फिर शहर के नागरिक और विभागीय कामकाज हो, सभी को बेहतरीन रूप से अंजाम दे रहे थे, उसके बावजूद उनकी जगह नए कलेक्टर को पदस्थ करना जनता को रास नहीं आ रहा है, खैर अब यह देखने का विषय है कि जबलपुर के नए कलेक्टर यहां जनता के दिल में किस तरह से जगह बना पाते हैं और यह भी कितने दिनों तक जबलपुर जिले के कलेक्टर बने रहते हैं...?
जनप्रतिनिधियों की कार्यप्रणाली पर खड़े हो रहे हैं सवाल
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लगातार राजनीति और जनप्रतिनिधियों की नेतागिरी का जबलपुर के कलेक्टर शिकार हो रहे हैं, अगर जनता ऐसे अच्छे कलेक्टरों के कामकाज से प्रभावित है तो जनता को भी शहर के ऐसे जनप्रतिनिधियों की नेतागिरी जो कि ऐसे अधिकारियों को यहां रहने नहीं दे रही है तो उन्हें भी सबक सिखाना चाहिए, वरना ऐसे में शहर का कुशल नेतृत्व करने वाले प्रशासनिक अधिकारी ऐसी ही औछी राजनीति के शिकार होते रहेंगे, इसके लिए जनता को ही अब कुछ करना होगा, तभी शहर का भला होगा।