मानस भवन में जस्टिस वर्मा स्मृति व्याख्यान माला में हिस्सा लेने के बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ वेटरनरी कॉलेज में आयोजित राजा शंकर शाह-कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस के कार्यक्रम में पहुंचे। इस मौके पर बड़ी संख्या में आदिवासी भी शामिल हुए। इसके पहले कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पहुंचे।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा, मैं मध्यप्रदेश पावन भूमि पर आकर अभिभूत हूं। मैं इस भूमि को नमन करता हूं और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को धन्यवाद प्रेषित करता हूं कि उन्होंने जनजाति के विकास के लिए दिल से काम किया।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा- छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय को अब शंकर शाह विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाएगा।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा- अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के युवाओं को आर्मी और पुलिस की भर्ती से पूर्व प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने कहा, वन समिति के शक्ति बढ़ाई गई है। तेंदू पत्ता बेचेंगे और उसका लाभ भी रखेंगे। जनजातियों के विकास में सरकार कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेगी। उन्होंने कहा, छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय को अब शंकर शाह विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाएगा। बिरसा मुंडा जयंती जो 15 नवंबर को होनी है,इसे जनजाति गौरव दिवस के नाम पर देशभर में मनाया जाएगा। मध्य प्रदेश में इस दिन अवकाश होगा। मुख्यमंत्री ने कहा, आदिवासियों से नियम विरुद्ध कोई वसूली नहीं कर सकेगा। सूदखोरों पर सरकार सख्त कार्रवाई कर रही है।
इन्होंने किया स्वागत :
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का स्वागत राज्यसभा सदस्य विवेक कृष्ण तन्खा ने, राज्यपाल मंगूभाई पटेल का स्वागत जिला बार अध्यक्ष व स्टेट बार उपाध्यक्ष आरके सिंह सैनी ने, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का स्वागत अधिवक्ता वरुण तन्खा ने, सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति संजय किशन कौल का स्वागत हाई कोर्ट बार अध्यक्ष संजय वर्मा ने, न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी का स्वागत हाई कोर्ट एडवोकेट्स बार अध्यक्ष मनोज शर्मा ने, हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ का स्वागत अधिवक्ता श्रेयस धर्माधिकारी ने किया।
महापौर ने भेंट की काफी टेबल बुक :
जबलपुर के महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू ने सभी मंचासीन अतिथियों को संस्कारधानी जबलपुर के गौरवपूर्ण अतीत से संबंधित काफी टेबल बुक भेंट की। इससे पूर्व सभी अतिथियों ने दीप प्रज्जवल के जरिए कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उपराष्ट्रपति के आगमन के साथ ही सर्वप्रथम राष्ट्रगान हुआ।
मानस भवन खचाखट भरा, अशोका होटल में लाइव स्ट्रीमिंग से जुड़े विधि छात्र :
इस आयोजन की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मानस भवन प्रात: नौ से 10 बजे के बीच ही खचाखच भर गया। इसीलिए काफी संख्या में व्याख्यान सुनने के आए विधि छात्र-छात्राओं के लिए समीपस्थ अशोका होटल में लाइव स्ट्रीमिंग की व्यवस्था की गई। शहर में कुछ अन्य जगहों पर भी यह सुविधा थी।
न्यायमूर्ति वर्मा के फैसले बोलते थे : तन्खा
स्वागत भाषण में राज्यसभा सदस्य विवेक कृष्ण तन्खा ने कहा कि न्यायमूर्ति वर्मा इतने अनुशासित व सख्त थे कि विधि व न्याय-जगत के लोग उनकी परछाई से डरते थे। जिन दिनों वे वकील थे, न्यायाधीश उनकी तर्क क्षमता के कायल थे और जब वे स्वयं न्यायाधीश बने तो अधिवक्ता उनके फैसलों से अभिूभूत होने लगे, ऐसा इसलिए क्योंकि उनके सभी फैसले बोलते थे। निस्संदेह वे आइकानिक जज थे। तन्खा ने बताया कि 1979-71 में जब उनके पिता हाई कोर्ट बार के अध्यक्ष थे, तब उन्होंने डा.हरीसिंह गौर के तैलचित्र के विमोचन समारोह में उपराष्ट्रपति को आमंत्रित किया था। यह दूसरा मौका है, जब उनके पुत्र के रूप में मुझे उपराष्ट्रपति को आमंत्रित करने का अवसर मिला। इस कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिवक्ता एमएल जायसवाल की मौजूदगी महत्वपूर्ण है क्योंकि वे स्कूल में न्यायमूर्ति वर्मा के क्लासमेट थे।
स्टेट बार चेयरमैन डा.विजय चौधरी ने पिता व गुरू के स्मरण को सराहा :
आभार प्रदर्शन की कड़ी में स्टेट बार कौंसिल के चेयरमैन डा.विजय चौधरी ने जस्टिस वर्मा मेमोरियल कमेटी के अध्यक्ष विवेक कृष्ण तन्खा की जस्टिस तन्खा मेमोरियल के रजत जयंती समारोह के जरिए पिता व जस्टिस जेएस वर्मा स्मृति व्याख्यान माला के जरिए गुरू को स्मरण करने के लिए सराहना की।
उपराष्ट्रपति ने धर्मो रक्षति रक्षितः की व्याख्या करते हुए न्यायिक पारदर्शिता की आवश्यकता बताई
उपराष्ट्रपति जगदीश धनखड़ ने न्यायाधीश जेएस वर्मा की न्यायिक प्रज्ञा, ज्ञान और संवैधानिक मर्यादा को स्मरण किया। धर्मो रक्षति रक्षितः की व्याख्या करते हुए न्यायिक पारदर्शिता की आवश्यकता रेखांकित की। भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जगदीश शरण वर्मा स्मृति व्याख्यान माला में उपराष्ट्रपति जगदीप धमखड़ ने कहा कि मेरी कई यादें जस्टिस वर्मा से जुड़ी हैं। 1986 से 89 के बीच जब वे राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे, तब मैं बार कोंसिल से जुड़ा था। उस समय राजस्थान हाई कोर्ट का अत्यंत कठिन दौर था, फिर भी जस्टिस वर्मा की न्यायिक सोच-समझ व पारदर्शी प्रक्रिया से समस्या हल हो गई। वे प्रशंसा व आलोकना, दोनों को समान रूप से लेने वाले न्यायाधीश थे। कामकाजी महिलाओं के उनके कार्यक्षेत्र में शोषण की समस्या को गम्भीरता से लेकर उन्होंने विशाखा गाइडलाइन की अभूतपूर्व सौगात दी।