नैनो यूरिया के उपयोग के लिए किसानों को करें प्रोत्साहित – कलेक्टर
कलेक्टर डॉ. इलैायाराजा ने आज समय सीमा प्रकरणों की समीक्षा बैठक में कृषि एवं इससे जुड़े विभागों के अधिकारियों को नैनो तरल यूरिया के इस्तेमाल के लिये किसानों को प्रोत्साहित करने के निर्देश दिये है। डॉ. इलैयाराजा ने कहा कि नैनो तरल यूरिया का बेहतर विकल्प है, इसके इस्तेमाल से न केवल कृषि की लागत में कमी आयेगी बल्कि इससे उत्पादकता में भी वृद्धि होगी।
समय सीमा प्रकरणों की समीक्षा बैठक में कृषि संबंधी विषयों पर चर्चा के दौरान बताया गया कि जबलपुर प्रदेश में नैनो तरल यूरिया का अधिकतम उपयोग करने वाला जिला है और देश में जबलपुर को इस मामले में आठवां स्थान प्राप्त है। विगत वर्ष प्रदेश में नैनो तरल यूरिया की 1.64 लाख बोतल की बिक्री हुई थी। जिसमें अकेले जबलपुर में एक लाख नैनो यूरिया के बोतल का विक्रय हुआ था। एक बोतल में पांच सौ एमएल नैनो यूरिया रहता है जो एक एकड़ के लिए पर्याप्त है।
इस संबंध में इफको के अधिकारी ने बताया कि यूरिया के एक दाना के 55 हजार टुकड़ों को तोड़कर एक नैनो पार्टिकल बनाया जाता है, ये इतने बारीक होते हैं कि पौधे आसानी से इन्हें अवशोषित कर लेते हैं। नैनो यूरिया एक विशेष टेक्नोलॉजी के द्वारा ही बनाया जाता है। जिसका पेंटेंट दुनिया भर में केवल इफको के पास है। नैनो यूरिया पौधे के अंदर पार्टिकल और आयन के रूप में रहता है। चूंकि नैनो यूरिया तीन लेयर पॉलीमर कोटेड रहते हैं, जिसके कारण यह आसानी से नही टूटते है। नैनो पार्टिकल पौधे के सेल वैक्यूम में 20 दिन तक पड़े रहते हैं और जब पौधों को इसकी आवश्यकता होती है वे इसे अपने आप ले लेते हैं। जबकि किसान यूरिया का ओव्हर डोज देते हैं, पौधे यूरिया का मात्र 25 से 30 प्रतिशत ही उपयोग कर पाते हैं और बाकी जमीन के अंदर या गैस बनकर प्रदूषण का कारण बनते हैं।